Chhoriyan Choro Se Kam Nahi Hoti movie review:-
गौरव शर्मा
सतीश कौशिक एंटरटेनमेंट कंपनी और Zee कंपनी के द्वारा बनाई गई पहली भव्य हरियाणवी फिल्म "छोरियां छोरों से कम नहीं होती" क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देती एक अद्भुत फिल्म है । इसमें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया है ।
मैंने कल ही इस मूवी को देखा और मैंने पाया कि कहीं ना कहीं यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर आधारित है, लेकिन फिल्म में इस नारे का कहीं प्रयोग तक नहीं किया गया है । परंतु जब आप मूवी देखने बैठते हैं और मूवी देखने के बाद उठते हैं तो आपको यही लगेगा कि यह अपनी बेटियों, महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए और ऊपर उठाने के लिए बनाई गई फिल्म है ।
इस फिल्म की मूल कथा यह है कि एक बाप (जयदेव चौधरी) बेटियां नहीं चाहता परंतु उसके दो बेटियां हो जाती हैं और उसके भाई उसकी जमीन छीन लेते हैं । तो वह यही सोचता है कि अगर उसका कोई बेटा होता तो उसको जमीन वापस दिलवाता । उसकी छोटी बेटी बिनीता पढ़ लिख कर और आईपीएस अधिकारी बनकर उसके बाप की जमीन वापस दिलाती है। यह फिल्म दंगल पर आधारित नहीं है ।
इस फिल्म को देखकर लगता है कि सतीश कौशिक का अनुभव बहुत काम आया है । फिल्म के निर्देशक राजेश बब्बर ने इस फिल्म को अच्छे से निर्देशित किया है । फ़िल्म की स्टारकास्ट जानी मानी है । सतीश कौशिक,सपना चौधरी, रश्मि सोमवंशी, अनिरुद्ध दवे,सोनाली फोगाट आदि ने बहुत अच्छा काम किया है । हरियाणवी और हिंदी भाषा को मिलाकर यह बहुत अच्छी फिल्म बनाई गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझ में आ सके । यह फिल्म अपने दर्शकों को शुरू से लेकर अंत तक अपने से जोड़े रखती हैं । इमोशन से भरपूर है । इस फिल्म ने काफी दर्शकों को रुलाया तक है इसका मतलब यही है कि इसके डायलॉग बहुत अच्छे लिखे गए हैं जो दर्शकों को जोड़ें रखते हैं । सभी अभिनेताओं ने कमाल का अभिनय किया है । इसकी पटकथा बहुत अच्छी है । यह फिल्म हरियाणा की संस्कृति को अच्छे से प्रदर्शित करती नज़र आती है तथा क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा देती है। इस फिल्म का संगीत बहुत ही उत्तम है । हर प्रकार का संगीत इसमें प्रयोग किया गया है ।चाहे वो fantasy song हो या emotional song हो या फिर Rap song हो । जो लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं । "रे ताऊ", "बिटिया", "गुलाल-ए-इश्क" इत्यादि गाने popular हो चुके हैं ।https://youtu.be/Aum1aFzYPvw
काफी क्षेत्रीय कलाकारों को अभिनय करने का मौका मिला है । इससे क्षेत्रीय कलाकारों को बॉलीवुड में जाने की संभावना बढ़ जाती है । फिल्म देख कर अंत में मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि "छोरियां छोरों से कम नहीं होती" । मैं तो यही कहूंगा की यह एक बहुत ही अच्छी फिल्म है और हरियाणवी सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए एक उत्तम प्रयास है। क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ाने के लिए ऐसी और फिल्म बननी चाहिए । मैंने जब फिल्म देखी तो वहां लोगों,महिलाओं, बच्चों से मैंने बात की तो हर वर्ग को यह फिल्म पसंद आई और उन्होंने यही कहा कि साल में एक हरियाणवी फिल्म तो जरूर बननी चाहिए । आगेे उन्होंने ने यही कहा कि बहुत अच्छी फिल्म है ,महिलाओं को प्रोत्साहित करती है प्रेरित करती है। तो ओवर ऑल यह मूवी बहुत अच्छी है।
थोड़ी सी खामियां भी हैं अगर यह और अधिक बजट में बनाई जाती तो और भी भव्य हो सकती थी क्षेत्रीय भाषा का मतलब हरियाणवी भाषा का और अधिक प्रयोग कर सकते थे अंत में मैं इस फिल्म को 5 में से 4.50 star दूंगा। आपको यह फ़िल्म देखने जरूर जाना चाहिए ।
गौरव शर्मा
सतीश कौशिक एंटरटेनमेंट कंपनी और Zee कंपनी के द्वारा बनाई गई पहली भव्य हरियाणवी फिल्म "छोरियां छोरों से कम नहीं होती" क्षेत्रीय सिनेमा को बढ़ावा देती एक अद्भुत फिल्म है । इसमें महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया है ।
मैंने कल ही इस मूवी को देखा और मैंने पाया कि कहीं ना कहीं यह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर आधारित है, लेकिन फिल्म में इस नारे का कहीं प्रयोग तक नहीं किया गया है । परंतु जब आप मूवी देखने बैठते हैं और मूवी देखने के बाद उठते हैं तो आपको यही लगेगा कि यह अपनी बेटियों, महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए और ऊपर उठाने के लिए बनाई गई फिल्म है ।
इस फिल्म की मूल कथा यह है कि एक बाप (जयदेव चौधरी) बेटियां नहीं चाहता परंतु उसके दो बेटियां हो जाती हैं और उसके भाई उसकी जमीन छीन लेते हैं । तो वह यही सोचता है कि अगर उसका कोई बेटा होता तो उसको जमीन वापस दिलवाता । उसकी छोटी बेटी बिनीता पढ़ लिख कर और आईपीएस अधिकारी बनकर उसके बाप की जमीन वापस दिलाती है। यह फिल्म दंगल पर आधारित नहीं है ।
इस फिल्म को देखकर लगता है कि सतीश कौशिक का अनुभव बहुत काम आया है । फिल्म के निर्देशक राजेश बब्बर ने इस फिल्म को अच्छे से निर्देशित किया है । फ़िल्म की स्टारकास्ट जानी मानी है । सतीश कौशिक,सपना चौधरी, रश्मि सोमवंशी, अनिरुद्ध दवे,सोनाली फोगाट आदि ने बहुत अच्छा काम किया है । हरियाणवी और हिंदी भाषा को मिलाकर यह बहुत अच्छी फिल्म बनाई गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझ में आ सके । यह फिल्म अपने दर्शकों को शुरू से लेकर अंत तक अपने से जोड़े रखती हैं । इमोशन से भरपूर है । इस फिल्म ने काफी दर्शकों को रुलाया तक है इसका मतलब यही है कि इसके डायलॉग बहुत अच्छे लिखे गए हैं जो दर्शकों को जोड़ें रखते हैं । सभी अभिनेताओं ने कमाल का अभिनय किया है । इसकी पटकथा बहुत अच्छी है । यह फिल्म हरियाणा की संस्कृति को अच्छे से प्रदर्शित करती नज़र आती है तथा क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ावा देती है। इस फिल्म का संगीत बहुत ही उत्तम है । हर प्रकार का संगीत इसमें प्रयोग किया गया है ।चाहे वो fantasy song हो या emotional song हो या फिर Rap song हो । जो लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं । "रे ताऊ", "बिटिया", "गुलाल-ए-इश्क" इत्यादि गाने popular हो चुके हैं ।https://youtu.be/Aum1aFzYPvw
काफी क्षेत्रीय कलाकारों को अभिनय करने का मौका मिला है । इससे क्षेत्रीय कलाकारों को बॉलीवुड में जाने की संभावना बढ़ जाती है । फिल्म देख कर अंत में मुंह से अनायास ही निकल जाता है कि "छोरियां छोरों से कम नहीं होती" । मैं तो यही कहूंगा की यह एक बहुत ही अच्छी फिल्म है और हरियाणवी सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए एक उत्तम प्रयास है। क्षेत्रीय संस्कृति को बढ़ाने के लिए ऐसी और फिल्म बननी चाहिए । मैंने जब फिल्म देखी तो वहां लोगों,महिलाओं, बच्चों से मैंने बात की तो हर वर्ग को यह फिल्म पसंद आई और उन्होंने यही कहा कि साल में एक हरियाणवी फिल्म तो जरूर बननी चाहिए । आगेे उन्होंने ने यही कहा कि बहुत अच्छी फिल्म है ,महिलाओं को प्रोत्साहित करती है प्रेरित करती है। तो ओवर ऑल यह मूवी बहुत अच्छी है।
थोड़ी सी खामियां भी हैं अगर यह और अधिक बजट में बनाई जाती तो और भी भव्य हो सकती थी क्षेत्रीय भाषा का मतलब हरियाणवी भाषा का और अधिक प्रयोग कर सकते थे अंत में मैं इस फिल्म को 5 में से 4.50 star दूंगा। आपको यह फ़िल्म देखने जरूर जाना चाहिए ।


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